त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
गिरिन्द्रात्मजासंग्रहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्नगेहम् ।
पुत्र हीन more info कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥